यीशु मसीह जगत के उद्धारकर्ता हैं। इसका क्या अर्थ है ?
हर ईस्टर पर हम लोगों को यह कहते हुए सुनते हैं कि ‘ दुनिया के उद्धारकर्ता यीशु मसीह मरे हुओं में से जी उठे हैं।’ क्रिसमस के दौरान हम सुनते हैं कि ‘दुनिया के उद्धारकर्ता यीशु मसीह का जन्म हुआ है।’ जब वे कहते हैं कि यीशु मसीह दुनिया के उद्धारकर्ता हैं, तो इसका क्या मतलब है ?
इब्रानियों 1:3 में कहा गया है कि “वह (यीशु मसीह) उसकी (परमेश्वर की ) महिमा का प्रकाश और उसके तत्व की छाप है, और सब वस्तुओं को अपनी सामर्थ्य के वचन से संभालता है। वह पापों को धोकर ऊँचे स्थानों पर महामहिमन् के दाहिने जा बैठा;”
यह श्लोक कहता है कि यीशु मसीह जो स्वयं परमेश्वर थे, ने स्वयं को कलवरी के क्रूस पर बलिदान के रूप में अर्पित करके, समस्त मानवजाति के पापों का शुद्धिकरण किया (परन्तु यीशु तीसरे दिन मृतकों में से जी उठे और आज स्वर्ग में पिता के दाहिने हाथ विराजमान हैं)। इसमें इस पृथ्वी पर रहने वाली समस्त मानवजाति के भूत, वर्तमान और भविष्य के पापों का शुद्धिकरण शामिल है। इसलिए यीशु ने सारी मानवजाति के लिए पाप के परिणाम से बचने का रास्ता बनाया, जो है मृत्यु और परमेश्वर से अनंत अलगाव। इस प्रकार, ‘यीशु मसीह दुनिया का उद्धारकर्ता है’।
परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया
बाइबल में यूहन्ना 3:16 कहता है, “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।”
यह एक और सत्य की ओर संकेत करता है, कि भले ही परमेश्वर ने अपने पुत्र यीशु मसीह के बलिदान के माध्यम से संसार को बचाया, फिर भी प्रत्येक व्यक्ति की यह जिम्मेदारी है कि वह यीशु मसीह को अपना निजी उद्धारकर्ता मानकर उस पर विश्वास करे । ठीक उसी तरह जैसे यदि आप डूबते हुए जहाज में हैं और आपके लिए बचने के लिए एक जीवनरक्षक नौका उपलब्ध है, तो भी आपको उस जीवनरक्षक नौका में चढ़ने का चुनाव करना होगा । इसी तरह, परमेश्वर ने हममें से हर एक के उद्धार के लिए एक रास्ता बनाया है। लेकिन आपको उसे अपने उद्धारकर्ता के रूप में मानने का चुनाव करना होगा ।
यीशु मसीह इस संसार में धर्म स्थापित करने नहीं आये थे, बल्कि वे परमेश्वर के साथ मानवजाति के टूटे हुए रिश्ते को पुनः जोड़ने आये थे।
यूहन्ना 1:12 : “परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं।”
यदि यीशु का अनुसरण करना ही एक धर्म होता, तो उसमें शामिल होने के लिए प्रार्थना करना या अनुष्ठान करना ही पर्याप्त होता।
लेकिन शुक्र है कि यह कोई धर्म नहीं है। यीशु का अनुसरण करने या उसे अपने हृदय में स्वीकार करने का अर्थ है परमेश्वर के साथ एक शाश्वत सम्बन्ध में प्रवेश करना । यीशु का अनुसरण करने का निर्णय हमारे हृदय से आना चाहिए ।
यीशु मसीह को अपने हृदय में स्वीकार करें
यीशु के पास आने के लिये:
स्वीकार करें कि आप पापी हैं और आपको उद्धारकर्ता की आवश्यकता है
- रोमियों 3:23 : “क्योंकि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।”
- 1 यूहन्ना 1:8 : “यदि हम कहें कि हम में कुछ भी पाप नहीं, तो अपने आप को धोखा देते हैं, और हम में सत्य नहीं।”
अपने पापों का पश्चाताप करें और परमेश्वर से अपने पापों की क्षमा मांगें
- प्रेरितों के काम 3:19 : “इसलिए, पश्चाताप करो और लौट आओ, कि तुम्हारे पाप मिटाए जाएँ।”
- 1 यूहन्ना 1:9 : “यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।”
प्रभु यीशु पर विश्वास करें
- यूहन्ना 3:16 : “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।”
- प्रेरितों के काम 16:31 : “और उन्होंने कहा, ‘प्रभु यीशु पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा।’”
अपने मुंह से कबूल करें
- रोमियों 10:9-10 : “क्योंकि यदि तू अपने मुँह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे, और अपने मन से विश्वास करे , कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा। क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है।”
यदि आपने अपने हृदय में यह विश्वास किया है कि यीशु प्रभु हैं और उन्होंने आपके पापों के लिए क्रूस पर अपनी जान दे दी, तथा तीसरे दिन जी उठे, तो आप यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में मानने के लिए व्यक्तिगत रूप से यह सरल प्रार्थना कर सकते हैं ।
प्रिय परमेश्वर,
मैं एक पापी हूं। मैं अपने पापों का पश्चाताप करता हूं। मैं विश्वास करता हूँ कि यीशु ने कलवरी के क्रूस पर स्वयं को बलिदान करके मेरे पापों की सजा ले ली। मैं विश्वास करता हूँ कि यीशु मसीह इस संसार में आये और मेरे पापों के लिए क्रूस पर मरे और तीसरे दिन, वे पाप, मृत्यु और नरक पर विजयी होकर पुनः जीवित हुए। मैं आज यीशु मसीह को अपना निजी उद्धारकर्ता स्वीकार करता हूँ। आमीन।
यदि आपने यह सरल प्रार्थना की है, तो आपने यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार कर लिया है । आप परमेश्वर की संतान बन गये हैं। एक बार जब आप परमेश्वर की संतान बन जाते हैं, तो परमेश्वर की पवित्र आत्मा आपके अंदर वास करना शुरू कर देती है। पवित्र आत्मा आपको परमेश्वर के करीब आने के लिए मार्गदर्शन करता रहता है। यह आपके जीवन में आने वाली किसी भी गलती या पाप की ओर इशारा करता है। अगर संयोग से कोई गलती हो जाती है , तो आप परमेश्वर से उस गलती को माफ़ करने के लिए कह सकते हैं और परमेश्वर की शक्ति में आगे बढ़ सकते हैं। परमेश्वर आपके दिल को अवर्णनीय आनंद और शांति से भर देंगे।