महामारी और बुरे कृत्यों पर सवाल

महामारी

यदि परमेश्वर सर्व शक्तिशाली है तो वह महामारी, प्राकृतिक आपदाओं आदि को क्यों नहीं रोक सकता है?

जब चीजें गलत हो जाती हैं तो लोग परमेश्वर को दोष देते हैं और उस पर सवाल उठाते हैं। आपदाएं कभी कभी ही आती हैं। हर दिन, हर हफ्ते, हर महीने, हर साल परमेश्वर अच्छाई के सिवाए कुछ नहीं करता – सूर्य को उदय करता है, बारिश देता है, आदि। परंतु लोग परमेश्वर के बारे में नहीं सोचते हैं, वे उसे धन्यवाद नहीं देते हैं।
ऐसे लोगों का परमेश्वर से शिकायत करना सही नहीं है। वह विपत्ति की अनुमति देता है ताकि लोग उसे देखें और एक व्यक्तिगत संबंध में प्रवेश करें। लोग अपने अच्छे समयों में परमेश्वर को आदर नहीं देते इसलिए परमेश्वर विपत्ति के द्वारा उन्हें अपने बारे में सोचने का अवसर देता है।

यदि परमेश्वर का अस्तित्व है और वह भला है तो वह मनुष्यों के बुरे कामों को क्यों नहीं रोकता है?

परमेश्वर का व्यक्तित्व हमारी समझ से परे है। उस में सभी गुणों को संतुलित रूप में देखा जा सकता है। चूंकि वह भला है, उसने मनुष्य को स्वतंत्र इच्छाशक्ति दी। मनुष्य अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार है। मनुष्य ने अपनी स्वतंत्र इच्छा का दुरुपयोग किया और बुरी चीजों को चुना। अब परमेश्वर अपनी अच्छाई और धैर्य के कारण, इंतजार कर रहा है कि मनुष्य अपने बुरे मार्गों को छोड़ दे और उसके पास लौट आए। जब मनुष्य परमेश्वर को नहीं चाहता है, तो वह उन्हें वही देता है जो उन्होंने बोया है। वह चाहता है कि लोग अपने दुखों में उसे पुकारें, और वह उन्हें बचाए और सही समय पर वह दुष्टों का नाश करे। वह सहनशील है और दुष्टों की मृत्यु में उसे कोई आनंद नहीं होता क्योंकि वह चाहता है की वे पश्चाताप करे। (यहेजकेल 33)