बहुत से मसीही,बाइबिल में वर्णित स्वर्ग के विचार में आशा, आराम और प्रेरणा पाते हैं। यह एक ऐसा स्थान है जहाँ विश्वासियों को परमेश्वर की पूर्ण उपस्थिति और उसकी प्रतिज्ञाओं की पूर्ति का अनुभव होगा। कठिनाई और अनिश्चितता के समय में, स्वर्ग के बारे में ये वचन उस महिमा की याद दिलाते हैं जो मसीह पर भरोसा करने वालों की प्रतीक्षा कर रही है। चाहे आपको सांत्वना, प्रोत्साहन या नए सिरे से आशा की आवश्यकता हो, स्वर्ग के बारे में ये 50 प्रेरणादायक बाइबिल वचन आपकी आत्मा को उठाएंगे और आपके आगे अनन्त घर की लालसा को प्रज्वलित करेंगे।
स्वर्ग की प्रतिज्ञा के बारे में बाइबिल वचन
- यूहन्ना 14:2 “मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते तो मैं तुम से कह देता; क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ।”
- प्रकाशितवाक्य 21:4.”वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा; और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं ।”
- 2 कुरिन्थियों 5:1 “क्योंकि हम जानते हैं कि जब हमारा पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा, तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा जो हाथों से बना हुआ घर नहीं, परन्तु चिरस्थाई है।”
स्वर्ग में कौन प्रवेश करेगा?
- मत्ती 7:21 “जो मुझ से, ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है।”
- यूहन्ना 3:16 “ क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नष्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।”
- रोमियों 10:9 “कि यदि तू अपने मुँह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे, और अपने मन से विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा।”
बाइबल के अनुसार स्वर्ग का वर्णन
- प्रकाशितवाक्य 21:21 “बारहों फाटक बारह मोतियों के थे; एक एक फाटक एक एक मोती का बना था। नगर की सड़क स्वच्छ काँच के समान शुद्ध सोने की थी ।”
- प्रकाशितवाक्य 22:1-2 “फिर उसने मुझे बिल्लौर की सी झलकती हुई, जीवन के जल की नदी दिखाई, जो परमेश्वर और मेम्ने के सिंहासन से निकलकर उस नगर की सड़क के बीचों बीच बहती थी। नदी के इस पार और उस पार जीवन का वृक्ष था; उसमें बारह प्रकार के फल लगते थे, और वह हर महीने फलता था; और उस वृक्ष के पत्तों से जाति–जाति के लोग चंगे होते थे।”
- 1 कुरिन्थियों 2:9 “परन्तु जैसा लिखा है, “जो बातें आँख ने नहीं देखीं और कान ने नहीं सुनीं, और जो बातें मनुष्य के चित में नहीं चढ़ीं, वे ही हैं जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिये तैयार की हैं।””
स्वर्ग में पुनर्मिलन
- 1 थिस्सलुनीकियों 4:16-17 “क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूँकी जाएगी; और जो मसीह में मरे हैं, वे पहले जी उठेंगे। तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे उनके साथ बादलों पर उठा लिये जाएँगे कि हवा में प्रभु से मिलें; और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे।”
- मत्ती 8:11 “और मैं तुम से कहता हूँ कि पूर्व और पश्चिम से बहुत से लोग आकर अब्राहम और इसहाक और याकूब के साथ स्वर्ग के राज्य में बैठेंगे।”
स्वर्ग में अनन्त जीवन
- यूहन्ना 3:1 “ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह अनन्त जीवन पाए।”
- यूहन्ना 10:28 “और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूँ। वे कभी नष्ट न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।”
- रोमियों 6:23 “क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।”
स्वर्ग में धन
- मत्ती 6:20 “परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहाँ न तो कीड़ा और न काई बिगाड़ते हैं, और जहाँ चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं।”
- मत्ती 19:21 “यीशु ने उससे कहा, “यदि तू सिद्ध होना चाहता है तो जा, अपना माल बेचकर कंगालों को दे, और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा ; और आकर मेरे पीछे हो ले।”
परमेश्वर का निवास स्थान
- भजन संहिता 33:13-14 “यहोवा स्वर्ग से दृष्टि करता है, वह सब मनुष्यों को निहारता है; अपने निवास के स्थान से वह पृथ्वी के सब रहनेवालों को देखता है,”
- यशायाह 66:1 “यहोवा यों कहता है : “आकाश मेरा सिंहासन और पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है; तुम मेरे लिये कैसा भवन बनाओगे, और मेरे विश्राम का कौन सा स्थान होगा?”
स्वर्ग में नागरिकता
- फिलिप्पियों 3:20 “पर हमारा स्वदेश स्वर्ग पर है; और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के वहाँ से आने की बाट जोह रहे हैं।”
- इब्रानियों 11:16 “पर वे एक उत्तम अर्थात् स्वर्गीय देश के अभिलाषी हैं; इसी लिये परमेश्वर उनका परमेश्वर कहलाने में उनसे नहीं लजाता, क्योंकि उसने उनके लिये एक नगर तैयार किया है।”
नया स्वर्ग और नई पृथ्वी
- यशायाह 65:17 ““क्योंकि देखो, मैं नया आकाश और नई पृथ्वी उत्पन्न करता हूँ; और पहली बातें स्मरण न रहेंगी और सोच विचार में भी न आएँगी।”
- 2 पतरस 3:13 “पर उसकी प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिनमें धार्मिकता वास करेगी।”
स्वर्ग में आराधना
- प्रकाशितवाक्य 7:9-10 “इसके बाद मैं ने दृष्टि की, और देखो, हर एक जाति और कुल और लोग और भाषा में से एक ऐसी बड़ी भीड़, जिसे कोई गिन नहीं सकता था, श्वेत वस्त्र पहिने और अपने हाथों में खजूर की डालियाँ लिये हुए सिंहासन के सामने और मेम्ने के सामने खड़ी है, और बड़े शब्द से पुकारकर कहती है, “उद्धार के लिये हमारे परमेश्वर का, जो सिंहासन पर बैठा है, और मेम्ने का जय–जय कार हो!””
- प्रकाशितवाक्य 15:2-3 “तब मैं ने आग मिले हुए काँच का सा एक समुद्र देखा; और जो लोग उस पशु पर और उसकी मूर्ति पर और उसके नाम के अंक पर जयवन्त हुए थे, उन्हें उस काँच के समुद्र के निकट परमेश्वर की वीणाओं को लिये हुए खड़े देखा। वे परमेश्वर के दास मूसा का गीत, और मेम्ने का गीत गा गाकर कहते थे, “हे सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, तेरे कार्य महान् और अद्भुत हैं; हे युग–युग के राजा, तेरी चाल ठीक और सच्ची है”।”
अब कोई दुःख या दर्द नहीं
- यशायाह 35:10 “यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएँगे, और उनके सिर पर सदा का आनन्द होगा; वे हर्ष और आनन्द पाएँगे और शोक और लम्बी साँस का लेना जाता रहेगा।”
- प्रकाशितवाक्य 7:17 “क्योंकि मेम्ना जो सिंहासन के बीच में है उनकी रखवाली करेगा, और उन्हें जीवन रूपी जल के सोतों के पास ले जाया करेगा; और परमेश्वर उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा।”
मसीह के साथ राज्य करना
- 2 तीमुथियुस 2:12 “यदि हम धीरज से सहते रहेंगे, तो उसके साथ राज्य भी करेंगे; यदि हम उसका इन्कार करेंगे, तो वह भी हमारा इन्कार करेगा;”
- प्रकाशितवाक्य 22:5 “फिर रात न होगी, और उन्हें दीपक और सूर्य के उजियाले की अवश्यकता न होगी, क्योंकि प्रभु परमेश्वर उन्हें उजियाला देगा, और वे युगानुयुग राज्य करेंगे।”
स्वर्गीय पुरस्कार
- मत्ती 5:12 “तब आनन्दित और मगन होना, क्योंकि तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा फल है। इसलिये कि उन्होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहले थे इसी रीति से सताया था।”
- कुलुस्सियों 3:24 “क्योंकि तुम जानते हो कि तुम्हें इस के बदले प्रभु से मीरास मिलेगी; तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो।”
स्वर्ग में देवदूत
- मत्ती 18:10 ““देखो, तुम इन छोटों में से किसी को तुच्छ न जानना; क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ कि स्वर्ग में उनके दूत मेरे स्वर्गीय पिता का मुँह सदा देखते हैं।”
- लूका 15:10 “मैं तुम से कहता हूँ कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में परमेश्वर के स्वर्गदूतों के सामने आनन्द होता है।””
स्वर्ग की पूर्णता
- प्रकाशितवाक्य 21:27 “परन्तु उसमें कोई अपवित्र वस्तु, या घृणित काम करनेवाला, या झूठ का गढ़नेवाला किसी रीति से प्रवेश न करेगा, पर केवल वे लोग जिनके नाम मेम्ने के जीवन की पुस्तक में लिखे हैं।”
- इब्रानियों 12:22-23 ”पर तुम सिय्योन के पहाड़ के पास, और जीवते परमेश्वर के नगर, स्वर्गीय यरूशलेम, के पास और लाखों स्वर्गदूतों और उन पहिलौठों की साधारण सभा और कलीसिया, जिनके नाम स्वर्ग में लिखे हुए हैं, और सब के न्यायी परमेश्वर के पास, और सिद्ध किए हुए धर्मियों की आत्माओं,”
स्वर्ग की लालसा
- 2 कुरिन्थियों 5:1,2 “क्योंकि हम जानते हैं कि जब हमारा पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा, तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा जो हाथों से बना हुआ घर नहीं, परन्तु चिरस्थाई है। इसमें तो हम कराहते और बड़ी लालसा रखते हैं कि अपने स्वर्गीय घर को पहिन लें”
- फिलिप्पियों 1:23 “क्योंकि मैं दोनों के बीच अधर में लटका हूँ; जी तो चाहता है कि कूच करके मसीह के पास जा रहूँ, क्योंकि यह बहुत ही अच्छा है,”
स्वर्ग से मसीह की वापसी
- प्रेरितों के काम 1:11 “और उनसे कहा, “हे गलीली पुरुषो, तुम क्यों खड़े आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा।””
- 1 थिस्सलुनीकियों 4:16 “क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूँकी जाएगी; और जो मसीह में मरे हैं, वे पहले जी उठेंगे।”
स्वर्ग में परमेश्वर का राज्य
- मत्ती 5:19 “इसलिये जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े, और वैसा ही लोगों को सिखाए, वह स्वर्ग के राज्य में सबसे छोटा कहलाएगा; परन्तु जो कोई उन आज्ञाओं का पालन करेगा और उन्हें सिखाएगा, वही स्वर्ग के राज्य में महान् कहलाएगा।”
- मत्ती 13:44 “स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पाया और छिपा दिया, और मारे आनन्द के जाकर अपना सब कुछ बेच दिया और उस खेत को मोल ले लिया।”
स्वर्ग की स्थायित्व
- 2 कुरिन्थियों 5:1 “क्योंकि हम जानते हैं कि जब हमारा पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा, तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा जो हाथों से बना हुआ घर नहीं, परन्तु चिरस्थाई है।”
- 1 पतरस 1:4 “अर्थात् एक अविनाशी, और निर्मल, और अजर मीरास के लिये जो तुम्हारे लिये स्वर्ग में रखी है;”
स्वर्ग में लिखे नाम
- लूका 10:20 “तौभी इससे आनन्दित मत हो कि आत्मा तुम्हारे वश में हैं, परन्तु इस से आनन्दित हो कि तुम्हारे नाम स्वर्ग पर लिखे हैं।”
- प्रकाशितवाक्य 3:5 “जो जय पाए उसे इसी प्रकार श्वेत वस्त्र पहिनाया जाएगा, और मैं उसका नाम जीवन की पुस्तक में से किसी रीति से न काटूँगा; पर उसका नाम अपने पिता और उसके स्वर्गदूतों के सामने मान लूँगा ।”
स्वर्ग में आनन्द
- लूका 15:7 “मैं तुम से कहता हूँ कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्यानबे ऐसे धर्मियों के विषय नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं।”
- प्रकाशितवाक्य 19:1 “इसके बाद मैं ने स्वर्ग में मानो बड़ी भीड़ को ऊँचे शब्द से यह कहते सुना, “हल्लिलूय्याह! उद्धार और महिमा और सामर्थ्य हमारे परमेश्वर ही की है।”
स्वर्ग की महिमा
- प्रकाशितवाक्य 4:2-3 “तुरन्त मैं आत्मा में आ गया; और क्या देखता हूँ कि एक सिंहासन स्वर्ग में रखा है, और उस सिंहासन पर कोई बैठा है। जो उस पर बैठा है वह यशब और माणिक्य–सा दिखाई पड़ता है, और उस सिंहासन के चारों ओर मरकत–सा एक मेघधुनष दिखाई देता है।”
- प्रकाशितवाक्य 21:19-20 “उस नगर की नींवें हर प्रकार के बहुमूल्य पत्थरों से सँवारी हुई थीं; पहली नींव यशब की, दूसरी नीलमणि की, तीसरी लालड़ी की, चौथी मरकत की, पाँचवीं गोमेदक की, छठवीं माणिक्य की, सातवीं पीतमणि की, आठवीं पेरोज की, नवीं पुखराज की, दसवीं लहसनिए की, ग्यारहवीं धूम्रकान्त की, और बारहवीं याकूत की थी।”
स्वर्गीय ज्ञान
- याकूब 3:17 “पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है।”
- 1 कुरिन्थियों 13:12 “अभी हमें दर्पण में धुँधला सा दिखाई देता है, परन्तु उस समय आमने–सामने देखेंगे; इस समय मेरा ज्ञान अधूरा है, परन्तु उस समय ऐसी पूरी रीति से पहिचानूँगा, जैसा मैं पहिचाना गया हूँ।”
स्वर्ग के बारे में बाइबिल के वचनों पर चिंतन
ये वचन बाइबिल में वर्णित स्वर्ग के वादे, नागरिक, आराधना, पूर्णता और महिमाओं का एक व्यापक चित्र प्रस्तुत करते हैं। बाइबिल हमें स्वर्ग के खूबसूरत और उत्तम वादों के बारे में बताती है। ये 50 वचन हमें याद दिलाते हैं कि पृथ्वी पर हमारे संघर्ष हमेशा के लिए नहीं रहेंगे और हमारा वास्तविक घर स्वर्ग में है। हमें इन वचनों के बारे में सोचना चाहिए और उन्हें हमें आशा देने, हमारे विश्वास को मजबूत करने और हमारे जीवन को बदलने देना चाहिए। हमें दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ते रहने की आवश्यकता है, यह जानते हुए कि अब हम जिन कठिनाइयों का सामना करते हैं, वे यीशु मसीह के साथ स्वर्ग में होने वाले आनंद और शांति की तुलना में केवल अस्थायी हैं।