असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय।

असतो मा सद्गमय।; तमसो मा ज्योतिर्गमय।; मृत्योर्मामृतं गमय।

असतो मा सद्गमय।; तमसो मा ज्योतिर्गमय।; मृत्योर्मामृतं गमय।

इसका अर्थ है कि मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो. मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो. मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो। सैकड़ों सालों से यह प्रार्थना चली आ रही है ।
यह एक मन की वेदना है।  सांसारिकता से एवं भौतिकता से आध्यात्मिकता की ओर।

सत्य, प्रकाश एवं अमरता जिंदगी की एक उन्नत और सर्वोत्तम दशा जरूर है परंतु उस  श्रेष्ठ अनुभव की ओर हम कैसे पहुंच सकते है? मनुष्य अपने स्वयं के परिश्रम से कभी भी हासिल नहीं कर सकता है। 
यदि ऐसा होता तो बात कितनी सरल होती। 

एक उपाय जरूर है  –  वह जो स्वयं सत्य, ज्योति और जीवन है, वो हमें उस परम श्रेष्ठ अनुभव की ओर पहुंचा सकता है। 

प्रभु यीशु ने कहा , मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता। यूहन्ना १४:

उन्होंने यह भी घोषित किया कि जगत की ज्योति मैं हूँ; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अंधकार में चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा। यूहन्ना :१२

क्या दुनिया के इतिहास में कोई ऐसा हुआ जिसने खुद को सत्य, ज्योति और जीवन होने का दावा किया हो?

केवल मात्र यीशु ही यह दावा कर सकता है क्योंकि वह स्वर्ग से परमेश्वर का पुत्र होकर (परमेश्वर के तुल्य) उतरकर आया, ताकि असत्य और अंधकार में रहकर मृत्यु की ओर बढ़ रहे मनुष्य को सत्य, ज्योति, और अनन्य अनंत जीवन की ओर ले चले।

चले आओ दोस्तों – वह जीविते यीशु मसीह आज आपको भी पुकार रहे है!!!

जो पुत्र पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, परन्तु परमेश्वर का क्रोध उस पर रहता है। यूहन्ना :३६