जब हम अपने आस-पास की दुनिया को देखते हैं, तो हम कई लोगों को नकाब/ मुखौटा पहने हुए देखते हैं। नहीं, यह वह ‘मुखौटा’ नहीं है जिसे लोग कोविड -19 से खुद को और दूसरों को बचाने के लिए पहनते हैं। यह वह मुखौटा है जिसे लोग अपनी वास्तविक छवि को छिपाने और भिन्न छवी को दिखाने के लिए पहनते हैं । हम दुनिया के सामने लोगों को मुस्कुराते और हँसते हुए देखते हैं, लेकिन अगर हम उनके जीवन पर करीब से नज़र डालें, तो हम शायद बहुत चिंतित दिलों को देखेंगे, जो भविष्य के डर और कल की अनिश्चितता में जी रहे हैं।
डॉ जी कीथ ओल्सन (काउंसलिंग टीनएजर्स, पृष्ठ 331.) चिंता को इस प्रकार परिभाषित करते है – “..अशांति, आशंका, भय और उत्तेजना का अनुभव। वास्तविक खतरे की अनुपस्थिति में डरना या किसी ऐसी चीज से डरना जिसे आप स्वयं नहीं जानते।”
चिंता सभी को प्रभावित करती है
चिंता सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। एक छात्र अपने भविष्य या कैरियर के बारे में चिंतित रहता है, एक मध्यम आयु वर्ग का व्यक्ति अपनी नौकरी की सुरक्षा , वित्तीय सुरक्षा और अपने बच्चों के भविष्य के बारे में चिंतित रहता है, एक बुजुर्ग व्यक्ति स्वास्थ्य के बारे में और शायद अपनी मृत्यु के बारे में भी चिंतित रहता है । लेकिन जो तथ्य हम सभी जानते हैं, वह यह है कि किसी चीज़ के बारे में निरंतर चिंता करने से हमें भविष्य में कोई फायदा नहीं होता। चिंता को एक प्राकृतिक मानवीय भावना के रूप में बताया जा सकता है, लेकिन भविष्य के बारे में चिंता वर्तमान को अप्रभावी बना देती है। यह कैसे हो सकता है कि हम, नश्वर मनुष्य, अपने जीवन में चिंता को दूर कर सकते हैं?
उपचार का मार्ग क्या है?
पवित्र बाइबल में एक वचन है जो कहता है कि ‘किसी भी बात की चिन्ता मत करो; परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएँ। तब परमेश्वर की शान्ति, जो सारी समझ से परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी। (फिलिप्पियों 4:6,7 HINDI-BSI)
यह आयत हमें सिखाती है कि हम चिंता करना बंद नहीं कर सकते क्योंकि यह मनुष्यों में स्वाभाविक है। लेकिन हम निश्चित रूप से अपने जीवन की चिंताओं को परमेश्वर को सौंप सकते हैं। जब हम अपनी चिंताओं को परमेश्वर के हवाले करते हैं, तो हमसे वादा किया जाता है कि परमेश्वर की शांति, जो कि हमारी समझ से परे है, मसीह यीशु के माध्यम से हमारे दिलों और विचारों की रक्षा करेगी।
आराम
हमारे जीवन के बोझ को उतारने के लिए परमेश्वर से बेहतर कोई नहीं हो सकता है।” परमेश्वर जिसने आकाश और पृथ्वी को बनाया है। परमेश्वर जो हमारे जीवन की शुरुआत और अंत को जानता है। वह जिसने हमें अपनी माँ के गर्भ में बनाया। वह जो हमारे जीवन की हर छोटी – बड़ी चीज़ों का संचालन करता है।
यदि उसने वायदा किया है कि वह हमारे दिलों और विचारों की रक्षा उस शांति से करेगा “जो हमारी समझ से परे है” तो हम अपने जीवन में शांति के लिए किसी अन्य स्रोत की तलाश क्यों करें ? क्या आपने इस शांति कि खोज की है? क्या आप इस सुकून देने वाली शांति की तलाश करना चाहते हैं जिसे परमेश्वर स्वेक्षा से आपको देना चाहता है ?