नोबेल शांति पुरस्कार
नोबेल शांति पुरस्कार स्वीडन के उध्योगपति और आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल के इच्छापत्र के अनुसार 1895 में स्थापित किया गया था। नोबेल के वसीयतनामे के अनुसार शांति पुरस्कार उस व्यक्ति को प्रदान किया जाएगा जिसने गत वर्ष में “राष्ट्रों के बीच साझेदारी, स्थायी सेनाओं के उन्मूलन/कमी और शांति सम्मेलनों के आयोजन और बढ़ावे के लिए सबसे अधिक या सबसे अच्छा काम किया हो “। हालांकि यह पुरस्कार हर साल प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन 19 ऐसे मौके आए हैं जिनमें इस पुरस्कार को प्रस्तुत नहीं किया गया| इसका मुख्य कारण यह था की पुरस्कार समिति को कोई भी ऐसा व्यक्ति या काम नहीं मिला, जो ऊपर दी गई परिभाषा में फिट हो।
सच्ची शांति क्या है?
आज की दुनिया में लोग सबसे अधिक शांति की तलाश में हैं। चाहे कोई भी हो – राष्ट्र, परिवार, व्यक्ति, अमीर, गरीब इत्यादि – हर कोई शांति की खोज में है। लेकिन जो इस शांति की खोज में हैं उनमें से कई इस को प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।
वास्तव में शांति क्या है?
व्यक्तिगत स्तर पर शांति मन की एक ऐसी विश्राम की स्थिति को दर्शाती है जो किसी भी आंतरिक या बाहरी परिस्थितियों से (जिनका हम हर वक़्त सामना करते रहते हैं) परेशान नहीं होती है । पं. जवाहरलाल नेहरू ने एक बार कहा था, “शांति राष्ट्रों के बीच रिश्ता नहीं है। यह मन की एक स्थिति है जिसे आत्मा की निस्तब्धता द्वारा लाया जाता है। शांति केवल युद्ध की अनुपस्थिति नहीं है। यह मन की एक अवस्था भी है। स्थायी शांति केवल शांतिपूर्ण लोगों को ही मिल सकती है।”
मैं एक शांत व्यक्ति कैसे बन सकता हूं?
लेकिन मैं एक शांत व्यक्ति कैसे बन सकता हूं? क्या मैं इसे कहीं से प्राप्त कर सकता हूं? एल्बर्ट आइंस्टीन ने ऐसा कहा है – “शांति को सिर्फ शक्ति से ही सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है। यह केवल समझ के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।”
क्या कोई दुनिया में शांति लाने में सफल रहा है?
जी हाँ, वह प्रभु यीशु मसीह के अलावा और कोई नहीं है। संसार में अपने जीवन के दौरान, उन्होंने परेशान हृदयों को सच्ची शांति प्रदान की। फिर जब उन्होंने इस दुनिया को त्यागा, तब हमे अपनी शांति का अनमोल तोहफा दे दिया।
यीशु ने कहा – “मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कहीं हैं कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले। संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बाँधो, मैं ने संसार को जीत लिया है।” यूहन्ना 16 :33
यीशु ने यह भी कहा – “मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूँ, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूँ; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता : तुम्हारा मन व्याकुल न हो और न डरे।” यूहन्ना 14 :27
आप यीशु द्वारा प्रदान की हुई इस सच्ची शांति का अनुभव कैसे कर सकते हैं? बहुत आसान है। यीशु के पास आइए,अपने पापों को स्वीकार करिए और उसे अपने प्रभु और उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार कीजिए | और फिर देखिए, “तब परमेश्वर की शान्ति, जो सारी समझ से परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।” – फिलिप्पियों 4:7