कोलाहल के मध्य में शांति

कोलाहल के मध्य में शांति

हरियाली, जगमगाते झरने और चहकते हुए पक्षियों के साथ एक सुंदर चित्र की कल्पना करें- कुछ ऐसा जो आपको संतुष्टि दे। अब कल्पना करिए कि उस सुंदर चित्र को फाड़ा जा रहा है – धीरे-धीरे उसे बिगाड़ा जा रहा है और अंत में हम टूटे हुए दिल के साथ एक अर्थहीन् टुकड़े को देखतें है।

मानव जीवन की अनिश्चितता

ऐसा किसी का भी जीवन हो सकता है, जहां सब कुछ टूटता हुआ सा दिखे।

कुछ भी निश्चित नहीं है, भविष्य धूमिल और अस्पष्ट है। लोगों को मृत्यु का भय दिखा कर महामारी दुनिया भर में फैल गई है। एक सूक्ष्म वायरस जो मानव आंखों के लिए अदृश्य है हमें परेशान करने के लिए पर्याप्त है। भयानक महामारी के बिना भी, जीवन में उथल पुथल हो सकती है। एक भी व्यक्ति बिना दुखों के नहीं है। हर दिन, लोग नौकरी खो देते हैं, परिवार बिखर जाते हैं और दोस्त एक-दूसरे पर से विश्वास खो देते हैं। मानसिक, वित्तीय और भावनात्मक तनाव के कारण अक्सर हिंसक व्यवहार और यहां तक कि आत्महत्या भी होती है।

उत्तेजित होकर हम चारों ओर दौड़ते हैं और प्रसिद्धि, भाग्य और नशीली दवाओं में सुख की तलाश कर अपने खालीपन को उनसे भरने लगते हैं। जिन्होंने इनका अनुभव किया है, वे आपको बताएंगे कि इनमें से किसी ने उन्हें स्थायी आंतरिक शांति नहीं दी होगी।

प्रोत्साहन के शब्द

किसी ने कहा है – “मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूं, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे।” (यूहन्ना: 14:27)

वाह! ऐसा बयान कौन दे सकता है? मैं कैसे परेशान ना होऊं और क्यों ना डरूं, जब तूफान रूपी परिस्थितियां गर्जना करती हैं?

कई लोग सोचते हैं कि सच्ची शांति की प्राप्ति असंभव है, इसलिए वे इसकी तलाश छोड़ देते हैं। लेकिन मेरे मित्र, यीशु मसीह में विश्वास के माध्यम से यह संभव है- यीशु मसीह, जिसने उपरोक्त बयान को कहा था वह आपको समझता है … वह जानता है कि आप किन परिस्थितियों से गुज़र रहे हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह आपसे प्रेम करता है।

एक अद्भुत उपहार।

वह आपको कुछ ऐसा देना चाहता है जिसे पैसों से खरीदा नहीं जा सकता। यीशु मसीह आपको वह उपहार संसार के समान स्वार्थ भाव से और थोड़े समय के लिए नहीं देना चाहता। शांति का वह उपहार अनंतकाल का है।

आपको बस अपना विश्वास उस पर डालना है, जो आपके और मेरे पापों कि क्षमा के लिए क्रूस पर मर गया, “तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी॥” (फिलिप्पियों: 4:7) उसका प्रेम अटूट है-यह हमको ढाल देता है और हमारे भय और अशांति से हमारी रक्षा करता है। उसका प्रेम आपको कभी नहीं छोड़ेगा।

क्या आप उस शांति को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं ?

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