ज्योति या प्रकाश , ज्ञान और समझ का सार्वलौकिक प्रतीक है।
पवित्र शास्त्र बाईबिल का एक अनमोल एवं हर एक के लिए सार्थक वचन ऐसा है।
” तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता। और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को पहुँचताहै। उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें॥” मत्ती – अध्याय ५:१४-१६।
इस लेख से हमारी प्रार्थना है कि हर एक जो इसको पढ़े उनके दिल में वह दिया जले जो मनुष्य जीवन को प्रकाशित करता है।
उपरोक्त पक्तियाँ प्रभु यीशु मसीह के द्वारा कहे वचन हैं। जब जीवन ज्योतिर्मय हो जाता है, तो व्यक्ति स्वयं प्रकाशित होने के साथ साथ वह दूसरों को भी प्रकाशित करता है।
ज्योति की आवश्यक्ता।
ज्योति का विपरीत है अन्धकार । ज्योति की जरूरत उन्ही को है जो अन्धकार की चपेट में हैं। अँधेरा अज्ञानता एवं निराशाजनक स्थिति की ओर इशारा करता है। वह जीवन की अधार्मिकता और आत्मिक अन्धापन को प्रकट करता है ।
पवित्र बाईबिल कहती है कि मनुष्य स्वभाव से अन्धकार में रहता है। अर्थात वह अधार्मिकता में लुप्त होकर सत्य और ज्ञान से दूर, पाप में जीवन व्यतीत करता है। मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु पाप और उसके फलस्वरूप आयी मृत्यु है। यह स्थिति इतनी क्रूर और बेरहम ह कि इसने मनुष्य को अपने भयावह हथेली में जकड़ रखा है। लेकिन मनुष्य पुष्प और सुगंधित द्रव्यों के सहारे इस वास्तविक्ता को छिपाने का प्रयास करता है।
मनुष्य स्वभाव से पापी है।
पाप मनुष्य को धर्मी एवं न्यायी परमेश्वर के सामने दोषी एवं अधर्मी करार देता है। । लिखा है –
” परमेश्वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्ति और अधर्म पर स्वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं। .”…. और ‘परमेश्वर के विषय का ज्ञान होना और उस परमेश्वर के अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा प्रकट होते हुए भी, उन्होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्धेरा हो गया। वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए। और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशमान मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगने वाले जन्तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला॥’
मनुष्य इस अधार्मिकतता रुपी अंधकार में अँधा होकर उलझ रहा है। इस निस्सहाय अवस्था से मनुष्य को छुड़ाने के लिए ज्योतिर्मय परमेश्वर अपनी स्वर्गीय महिमा त्यागकर मनुष्य के रूप में इस धरती में आया।
यह इस बात का सबूत है की एक प्रेमी परमेश्वर है जो पाप में खोयी हुई अपनी सृष्टि को बचाना चाहता है।
हम स्वयं अपने किसी भी कर्म या बलिदान से इस अन्धकार की अवस्था से मुक्ति या मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकते है और न ही कोई दूसरा मनुष्य हमें बचा पायेगा , क्योकि बाइबिल कहती है कि – “कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं। कोई समझदार नहीं; कोई परमेश्वर का खोजनेवाला नहीं। सब भटक गए हैं, सब के सब निकम्मे बन गए हैं;” रोमियों ३; १०-१२।
पाप का समाधान।
केवल वह धर्मी परमेश्वर ही हमें उद्धार / मोक्ष दिला सकता है।
प्रभु यीशु मसीह, अपराधों और पापों के कारण मरे हुए मनुष्य को जीवन देने इस संसार में आया। उनके बारे में पवित्र बाइबिल लिखती है ,’ आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था। …… सब कुछ उसी (वचन) के द्वारा उत्पन्न हुआ, और जो कुछ उत्पन्न हुआ है उसमें से कोई भी वस्तु उसके (वचन) बिना उत्पन्न नहीं हुई। उसमें (वचन) जीवन था और वह जीवन मनुष्यों की ज्योति था। ज्योति अन्धकार में चमकती है, और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया। ……. सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आनेवाली थी। वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना।
सच्ची ज्योति की ओर आमंत्रण।
क्या आप नहीं चाहते है की आप भी इस सच्ची ज्योति की पहचान में आये। यहाँ पर एक धर्म-परिवर्तन का आह्वान नहीं दिया जा रहा है।
वह परमेश्वर जो सच्ची ज्योति है , उनके सामने केवल मानव समुदाय है, धर्म और जाती मनुष्य-निर्मित है।
क्या आपने कभी भी अपने अस्तित्व के अर्थ और लक्ष्य के बारे में सोचा है ? इस सच्चे और जीविते परमेश्वर को पहचाने बग़ैर इस दुनिया से विदा ले तो क्या लाभ ?
क्या आपके मन में कभी भी वह एकमात्र सच्चे और जीविते ईश्वर को जानने का जिज्ञासा नहीं हुई है ?
ईश्वर मनुष्य की संकुचित बुद्धि से परे है। हम अविनाशी ईश्वर को कभी भी हमारी मन की कल्पना के आधार पर नाशमान मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगने वाले जन्तुओं की मूरत की समानता में बदल नहीं सकते। उस ईश्वर की पहचान केवल प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हो सकती है।
आज इस दुनिया के लिए एक ही सुसमाचार है और वह सुसमाचार ये है कि पवित्रशास्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया, और गाड़ा गया, और पवित्रशास्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा । सचमुच मसीह मुर्दो में से जी उठा है,यदि मसीह नहीं जी उठा, तो हमारा प्रचार करना भी व्यर्थ है, और तुम्हारा विश्वास भी व्यर्थ है। प्रभु यीशु मसीह परमेश्वर का सच्चा रूप है। मानव जाती का उद्धार के सम्बन्ध में प्रभु यीशु मसीह ही परमेश्वर का अंतिम शब्द है।
आप प्रभु यीशु मसीह के द्वारा इस ईश्वरीय ज्योति एवं ज्ञान में प्रवेश कर सकते है और इसके लिए हमे कुछ भी खर्चा करने की जरूरत नहीं है। सिर्फ यीशु को अपने जीवन में प्रभु मानकर अंगीकार करे और मन में यह विश्वास करे की परमेश्वर ने उसे (यीशु को ) मरे हुओ से जिलाया। अति कृपालु ईश्वर आपको इस जीवन ज्योति की पहचान में आने का और जगत में एक ज्योति समान चमकने में आपकी बड़ी मदद करे। प्रभु यीशु मसीह परमेश्वर का सच्चा रूप है।