अकेलापन : कोविड-19 का विशिष्ठ उपहार
कोविड-19 ने इस संसार में कुछ उपहारों के साथ प्रवेश किया है | सिर्फ मृत्यु और दूरी ही नहीं, बल्कि अकेलापन या एकाकीपन एक प्रमुख मुद्दे की तरह उभर के प्रगट हो रहा है | मनुष्य, अपने आप में, एक सामाजिक प्राणी है | जब हमे मजबूरन, बहुत अधिक समय तक, दूसरों के साथ संपर्क से बचना पड़ता है, तो यह हमें गहराई से प्रभावित करता है। इसी कारण से एकांत कारावास या काल कोठरी में अकेले बंद किया जाना, जेलों में सबसे ख़राब सज़ाओं में से एक माना जाता है| हालाँकि, इसका समाधान हर समय लोगों के बीच घिरे रहने में भी नहीं है| यह तरीका मददगार ज़रूर है परन्तु इसकी भी एक सीमा है| जब आप अकेले होते हैं, सिर्फ तभी इस अकेलापन का शिकार नहीं होते| बल्कि अपने दोस्तों और परिवारजनों के बीच, भीड़ में भी, आप फासले महसूस कर सकते हैं|
अकेलेपन को कैसे समझें?
तो अकेलापन असल में क्या है? मदर टेरेसा के शब्द शायद कुछ मदद करें “सबसे भयानक गरीबी अकेलापन और अप्रिय होने का एहसास है। “अप्रिय होने का एहसास” : यह अनुभूति कि हमारे सारे मित्र, परिवारजन, जीवनसाथी, बच्चे, पालतू जानवर, अनुयायी, ग्राहक, लाइक्स/शेयर्स पर्याप्त नहीं हैं। एक शून्यता, दिल में एक खालीपन जो भरने को तैयार नहीं। अकेलेपन से निकलने का कोई कारगर उपाय नहीं है। मानव निर्मित उपचार सभी अस्थायी हैं और केवल ध्यान बंटा सकते हैं – इस से ज़्यादा कुछ नहीं। घबराएं नहीं, एक अचूक समाधान है, ज़रूर है – एक दिव्य प्रकृति का समाधान|
अकेलेपन का अचूक समाधान
क्या आप जानते हैं कि, बाइबल के अनुसार, अकेलापन सृष्टि के बाद वह पहली समस्या थी जिसे परमेश्वर ने सुलझाया? उत्पत्ति 2:18 पद में, यह कहा गया है, “यहोवा परमेश्वर ने कहा, आदमी का अकेला रहना अच्छा नहीं है। मैं उसके लिए एक ऐसा सहायक बनाऊंगा जो उससे मेल खाए।” और आने वाले पदों में परमेश्वर ने ऐसा ही किया। ऐसे कई और उदाहरण हैं जहां बाइबिल के पात्रों को अकेलेपन का सामना करना पड़ा, लेकिन चलिए कुछ सहस्राब्दी आगे बढ़ते हैं और यीशु मसीह का दर्शन करते हैं| उन्होंने चमत्कार किये, चंगाई दी – लेकिन अपने बचाये हुए लोगों के बीच में घिरे होने के बावजूद, उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। “उसे क्रूस पर चढ़ाओ!”, वे चिल्लाए। उनके सबसे करीबी साथियों ने उनका साथ छोड़ दिया; कुछ लोगों ने तो यह भी कहा की वह उसे जानते ही नहीं थे ।
वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दु:खी पुरूष था, रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया, और, हम ने उसका मूल्य न जाना| – (यशायाह 53: 3)
और इसलिए हम देखते हैं यीशु को- परमेश्वर जिसने मनुष्य का रूप धारण किया – कि अकेला वही है जो वास्तव में अकेलेपन के दर्द से समानुभूति रखता है। उसने ऐसा क्यों किया? किस कारणवश यीशु मसीह ने खुद को क्रूस पर चढ़ाने की अनुमति दी ? उस का जवाब ही, मेरे मित्र, अकेलेपन का दिव्य समाधान है। उसने हमसे प्रेम किया।
“परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा” (रोमियों 5: 8)
यही वह एकमात्र दिव्य और एकतरफा प्यार है जो आपके ह्रदय की शून्यता को भरने का वायदा करता है। आप जानते हैं कि हम मनुष्यों के पास प्रेम सीमित मात्रा में ही है। हम अपना सारा प्रेम किसी ऐसे एक व्यक्ति को नहीं दे सकते हैं जिसे इसकी आवश्यकता हो, क्योंकि फिर हम भी उसी स्थिति में पहुंच जाएंगे|
हम हर दिन, पूरे दिन एक व्यक्ति की मदद नहीं कर सकते। इस बात की पूरी संभावना है कि हम खुद भावनात्मक रूप से सूख जाएँ।
यही कारण है कि मनोचिकित्सक या सलाहकार भी साप्ताहिक या मासिक आधार पर ही अपने पास आनेवालों से बात करते हैं ताकि उन पर खुद ज़्यादा दबाव न बन जाए। इसलिए हमें प्यार के एक अनन्त स्रोत की आवश्यकता है। और यही यीशु मसीह का वादा है जब वह कहता है
“हे सब परिश्र्म करनेवालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्रम दूंगा” मत्ती 11:28
यह एकमात्र अपरिवर्तनीय, अथाह प्रेम है जो आपको फिर से भरपूर जीवन महसूस करने का मौका देगा। शायद पहले से कहीं ज्यादा|