स्वतंत्र होने का क्या अर्थ है ?
हमारे लिए स्वतंत्रता का अर्थ हो सकता है – हमारे कार्य करने, बोलचाल में स्वतंत्रता और अपने द्वारा चुनी हुई सरकार के अधीन जीवन जीने की स्वतंत्रता| पिंजरे से आज़ाद हुआ पंछी और जेल से छूटा हुआ कैदी एक प्रकार के स्वतंत्रता का अनुभव जानते हैं |
क्या यही सच्ची स्वतंत्रता की संपूर्ण परिभाषा है ?
हाँ यह राजनीतिक स्वतंत्रता की परिभाषा हो सकती है| पर स्वतन्त्रता के और भी कई प्रकार हो सकते हैं जैसे नैतिक या आत्मिक स्वतंत्रता | राजनीतिक स्वतंत्रता पाने के इतने वर्षों के पश्चात् भी क्या हम नैतिक रूप से और आत्मिक रूप से स्वतंत्र हैं? बाहरी स्वतंत्रता से भी ज्यादा हर्ष हमें संपूर्ण स्वतंत्रता पाने मे होना चाहिए |
अभी भी बन्धन में हैं!!
हम सभी जन मूल रूप से पाप के बंधन में जकड़े हुए हैं और चाहकर भी पाप के बंधन से स्वतंत्र नहीं हो पाते हैं क्यूंकि हम जन्म से पापी है और पाप हमारे व्यक्तित्व के हर पहलू में मौजूद है । बाइबिल बताती है की मनुष्य को परमेश्वर के द्वारा उसकी महिमा और संगति के लिए सृजा गया है |
एक समय ऐसा भी था जब मनुष्य परमेश्वर के साथ पवित्र और मधुर संगति में था और पाप का गुलाम नहीं था |
कैसे गुलाम बने?
परन्तु हमारे आदि माता पिता ने परमेश्वर की आज्ञा को तोड़कर उस स्वतन्त्रता को खो दिया और तबसे मनुष्य जाति पाप की गुलामी में है | प्रथम माता पिता ने परमेश्वर के सृष्टी के उस उद्देश्य को त्यागकर पाप करना चुना और फलस्वरूप संपूर्ण मनुष्य जाति परमेश्वर की संगति से दूर हो गई और पाप के आधीन हैं | पाप का फल ना केवल शारीरिक पर आत्मिक और अनंतकाल की मृत्यु है। इसीलिए मनुष्य आज आत्मिक रूप से मृत है और परमेश्वर से दूर है |
हम कैसे मुक्त होंगे ?
प्रभु यीशु मसीह ने हमारे पापों के प्रायश्चित के रूप में क्रूस पर अपने प्राणो को दे दिया और तीसरे दिन जी उठा ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वो नाश न हो परन्तु अनंत जीवन पाए। जो प्रभु यीशु के शरण में आ जाते हैं वे सच्ची और संपूर्ण स्वतंत्रता को अपने जीवन में पाते और महसूस कर सकते हैं ।