क्या सभी धर्म मूल रूप से समान नहीं हैं?
हाँ, वास्तव में है; और उनमें कुछ कमी भी नहीं है। लेकिन हमें यह समझना होगा कि धर्म क्या है और उसका उद्देश्य क्या है। धर्म मनुष्य की परमेश्वर तक पहुँचने की खोज है। इतने सारे धर्म इसलिए हैं क्योंकि परमेश्वर तक पहुंचने के हमारे पास बहुत सारे सुझाव हैं। सभी धर्म हमें एक बात सिखाते हैं: यदि आप उद्धार चाहते हैं- “तो कर्म करो”! ‘यदि आप अच्छा कर्म करते हैं, तो आप स्वर्ग जाएंगे ’। लेकिन वे हमारी बुनियादी समस्या को नहीं समझते हैं। हमारी समस्या यह है कि हमारे अच्छे कर्मों में हमारा उद्धार करने की शक्ति नहीं है। इसलिए, यदि उद्धार आपका लक्ष्य है, तो धर्म आपकी मदद नहीं कर सकता है।
इसका मतलब यह नहीं है कि आपके पास मदद के लिए कोई विकल्प नहीं बचा है। आपकी मदद एक व्यक्ति में है। और वह है प्रभु यीशु मसीह। प्रभु यीशु ने कहा, “मैं अच्छा चरवाहा हूँ। अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिए अपना जीवन देता है। ” “मनुष्य का पुत्र खोये हुआ को ढूंढने और उनको बचाने के लिए आया है ।” “ मार्ग, सत्य और जीवन मै ही हूँ। मेरे बिना कोई भी पिता के पास नहीं पहुंच सकता… ”
धर्म जो नहीं कर सकता था , उसे यीशु मसीह ने आपके लिए कर दिया है। वह आपके पापों के लिए मर गया और तीसरे दिन फिर से उठा। वह एक जीवित मुक्तिदाता है। उसके पास आयिए। वह आपको ऐसा विश्राम देगा जो आप व्यर्थ ही धर्मों में खोज रहे थे।
मैंने अपने जीवन में कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया और हमेशा जरूरतमंदों की मदद की है। क्या यह मेरे लिए स्वर्ग जाने का एक अच्छा कारण नहीं है?
मुझे आपके जीवन में उच्च मानकों के लिए वास्तव में आपकी सराहना करना चाहिए। यह हम सब से अपेक्षित किया भी जाता है। अर्थात् हमें अपने साथ के लोगो का भला करना चाहिए। इस तरह का बर्ताव हमारे बीच शांति और सद्भाव लाता है जब हम इस दुनिया में रहते हैं।
परंतु हमारे अंदर की अच्छाई के स्तर के अनुसार हम स्वर्ग के लिए योग्य नहीं हैं। स्वर्ग तक पहुँचने के मानक आपके और मेरे द्वारा तय नहीं किए गए हैं। स्वर्ग पवित्र परमेश्वर की साक्षात उपस्थिति को कहा जाता है।
हम परमेश्वर के सामने पापी हैं। जन्म से पापी और कर्म से पापी। परमेश्वर का न्याय मांगता है कि पापियों को दंडित किया जाना चाहिए। भले ही हम दूसरों की तुलना में अच्छा बनने के लिए अपने स्तर पर कोशिश करते हैं, परंतु हृदय से हम सब पापी हैं। हमारे हृदय में दुष्टता है। (यिर्मयाह 17: 9) सब ने पाप किया है। (रोमियों 5:12, रोमियों 3:23) हमारे अंदर एक पाप का स्वभाव हैं। इसलिए, हमें पापों से शुद्ध होने की आवश्यकता है। यह स्वयं कि समर्थ से नहीं किया जा सकता। हमें शुद्ध होने के लिए किसी और कि आवश्यकता है।
इस दुनिया में कोई भी ऐसा करने में सक्षम नहीं है। इसीलिए 2000 साल पहले प्रभु यीशु मसीह इस दुनिया में आए और हमारे पापों को और उसके दण्ड को अपने ऊपर ले लिया। परमेश्वर के अनुसार पाप की मजदूरी मृत्यु है। मसीह हमारे लिए मर गया और हमें धर्मी ठहराने के लिए तीसरे दिन फिर से जी उठा। जिस क्षण हम उस पर विश्वास और उसे अपने जीवन के प्रभु के रूप में स्वीकार करते हैं उसी क्षण यीशु मसीह का लहू हमें सभी पापों से शुद्ध करता है। ऐसे व्यक्ति की पहुंच स्वर्ग तक हो सकती है।