एक ‘टाइटैनिक’ प्रश्न

टाइटैनिक

टाइटैनिक जहाज की त्रासदी ने एक ‘टाइटैनिक’ प्रश्न को पीछे छोड़ दिया है।अप्रैल 1912 में अपनी विनाशकारी पहली   यात्रा पर निकलने से पहले टाइटैनिक को दुनिया का सबसे बड़ा, सबसे सुरक्षित और सबसे मजबूत लक्जरी जहाज माना गया था।

टाइटैनिक जहाज की पहली यात्रा के लिए सभी प्रकार के लोगों का स्वागत किया गया था।  जहाज के अमीर, प्रसिद्ध, कुलीन, महिलाएं, बच्चे, परिवार और कर्मचारी-सभी सवार करने में खुश थे।

यह जहाज  ऐसा निर्माण किया गया था कि वो डूब नहीं सकता था, लेकिन साउथेम्प्टन से न्यूयॉर्क की अपनी पहली यात्रा पर यह जहाज डूब गया । यह अब तक की सबसे बड़ी शोकपूर्ण घटनाओं में से एक है।

त्रासदी के बाद

जहाज डूबने के बाद, द व्हाइट स्टार कंपनी (वो कंपनी जिसने टाइटैनिक का निर्माण किया था ) के कार्यालयों में “दो सूचियाँ” प्रस्तुत की गईं।  सूची सरल थी। इसके केवल दो भाग थे: “खोए हुए” और “बचाये हुए”। लोग इन सूचियों को पढ़ने के लिए आए, ताकि उनके प्रियजनों का पता लगाया जा सके।

दिलचस्प बात यह थी कि, यात्रा से पहले बहुत सी चीजें महत्वपूर्ण थीं।

क्या वे जहाज पर काम करते थे या वे छुट्टी पर थे? क्या वे अमीर थे या गरीब?

क्या वे करोड़पति थे या किसान? क्या वे स्टॉकब्रोकर थे या नहीं? क्या वे प्रथम श्रेणी या इकोनॉमी में थे ? क्या वे पुरुष थे या महिलाएं?

क्या उनके पास बहुत सारा सामान था या नहीं?

खोये हुए या बचाये गए ?

लेकिन टाइटैनिक के डूबने के बाद – इनमें से किसी भी चीज़ से कोई फर्क नहीं पड़ा। केवल एक ही बात महत्वपूर्ण था –

वो “बच गए” थे या “खो गए” ?

प्रिय मित्र, अनंत काल में ऐसा ही होगा।

एक समय आएगा, जब इस दुनिया में कमाई हुई किसी भी चीज़ का कोई महत्व नहीं रह जायेगा। 

इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि आप पुरुष हो या महिला!

इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि आप अमीर हो या गरीब!

सवाल सिर्फ यही होगा – क्या आप “खोए हुए हो ” हो या “बचाये हुए ” ? जिस दिन आपकी मृत्यु होगी और आप अपने सृष्टिकर्ता से मिलेंगे!

“येशु खोए हुओं को ढूँढ़ने और उनका उद्धार करने आया है। ”(लूका 19:10)

अपना जीवन येशु को दे दो । और अगर आप पहले ही दे चुके हो , तो उसके लिए जियो और दूसरों को उसके पास ले आओ !