दुनिया महामारी (यानी कोविद -19) से गुजर रही है। महामारी की उत्पत्ति चीन में हुई थी, लेकिन यह इतनी तेजी से फैल गई कि इसने पूरी दुनिया को एक ठहराव में ला दिया। विकसित, विकासशील और अविकसित राष्ट्र समान रूप से इससे प्रभावित हुए हैं। किसी को भी नहीं बख्शा। प्रभावित लोगों के और इस महामारी के कारण अपनी जान गंवाने वाले लोगों के बढ़ते आंकड़ों के साथ-साथ, हम दुनिया भर में लोगों के दिलों में समान अनुपात से-‘अनिश्चितता’ की दुविधा को देखते हैं।
हर किसी के दिमाग में एक बड़ा सवालिया निशान है कि यह महामारी कब खत्म होगी? हम दुनिया को उसके पुरानी स्थिति में वापस कब देख सकते हैं? क्या दुनिया वैसी ही होगी जैसी अब तक थी? जब आम लोगों की बात आती है, तो प्रश्न चिह्न बहुत अधिक व्यक्तिगत हो जाता है। क्या हम इस महामारी से बच पाएंगे? क्या हमारे परिवार के बुजुर्ग लोग इससे बच पाएंगे? दुनिया भर में आर्थिक गतिविधि के एक साथ ठप्प पड़ जाने के बाद, क्या हमारे पास नौकरियां होंगी ? जिन लोगों ने स्कूल और कॉलेजों से स्नातक किया है, उनके लिए सवाल यह है कि क्या वे कभी अपने लिए नौकरी और जीविका पा सकेंगे?
जब हम उपरोक्त प्रश्नों को गंभीरतापूर्वक सोचते हैं जो प्रत्येक के दिल में अंतर्निहित हैं, हम इन सवालों का जवाब नहीं पा सकते हैं। हां, हम अनिश्चित समय में हैं। जैसा कि हम अपनी जीविका, प्रियजनों और अपने स्वयं के जीवन को खतरे में पाते हैं, तो एक सवाल है जिसका उत्तर मिलना शेष है, क्या हम इन अनिश्चित समय में किसी भी चीज़ में निश्चितता पा सकते हैं? जवाब है, ‘हाँ’!
जब हम बाइबल पढ़ते हैं, तो एक वचन है जो हमारा ध्यान आकर्षित करता है, वह इब्रानियों 13: 5 में है, जो कहता है, “… क्योंकि परमेश्वर ने कहा है, “ मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा।” जब प्रभु परमेश्वर कहते हैं, कि वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा, इसके मायने बहुत गहरे हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारे जीवन में स्थिति क्या है। भले ही हमारी नौकरी की संभावनाएं धूमिल दिखती हैं, भले ही हमारे स्वयं के और हमारे प्रियजनों के स्वास्थ्य और अस्तित्व अनिश्चित दिखते हैं, लेकिन एक बात है जिसे हम निश्चितता के साथ आगे देख सकते हैं। वह है परमेश्वर का कभी ना बदलने वाला वचन जो कहता है कि वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा और न ही हमें त्यागेगा। यदि हम परमेश्वर पर भरोसा और विश्वास करते हैं, तो अनिश्चितता के बीच हम निश्चितता पा सकते हैं।
बाइबल यूहन्ना 3:16 में कहती है, कि ‘परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। प्रश्न यह है कि क्या हमने यीशू मसीह के माध्यम से परमेश्वर के कभी ना बदलने वाले प्रेम में अपना विश्वास रखा है, जो इन अनिश्चित समयों में हमें सक्षम बनाएगा-कि हम उसके वायदे को पकड़े रहे की वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा और न ही हमें त्यागेगा। इस छोटे से लेख के माध्यम से
हम पाठकों को प्रोत्साहित करना चाहते हैं कि आप यीशु मसीह को प्रभु और उद्धारकर्ता के रूप में उस पर भरोसा रखें | ताकि, मसीह में अपने स्थान को लेकर निश्चित रहें चाहे भविष्य में कुछ भी क्यों न हो